गन्ने की फसल : caneup.in | up cane | cane up.in | Login Payment Status Ganna Parchi
जानिए गन्ने की फसल के पीले पड़ने और सूखने का कारण और उपाय बहुत से किसान भाई को गन्ने की फसल में शिकायत है बरसात के मौसम में गन्ने की फसल पीली पड़कर सूख रही है। इससे किसानों को परेशानी हो रही है। उन्हें गन्ने की फसल खराब होने की चिंता सता रही है।
किसानों ने गन्ने की फसल पीली पड़ने की शिकायत भारतीय अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम से की थी। जिस पर टीम ने प्रभावित किसानों के खेतों का निरीक्षण किया और अपनी रिपोर्ट में किसानों को गन्ने की फसल पीली पड़ने के कारण, उपचार और बचाव को लेकर सलाह दी है। गन्ने में पीलापन और सूखने की समस्या से प्रभावित किसान वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए सुझावों पर अमल करके अपनी गन्ने की फसल को इस रोग से खराब होने से बचा सकते हैं, तो चलिए जानते हैं इसके बारे में।
गन्ने की किन किस्मों में पीलापन और सूखने की समस्या देखी गई
गन्ने के पीलेपन व सूखने की समस्या मुख्य रूप से कुछ गन्ना किस्मों जैसे को. 11015, को. 15027, को. बी.एस.आई. 8005, को. बी.एस.आई. 3102 तथा को. बी.एस.आई. 0434 में देखी गई है जो कि राज्य के लिए स्वीकृत किस्में नहीं हैं। इसके अलावा को. 15023 तथा को. 0118 जैसी स्वीकृत किस्मों में इस रोग का प्रभाव अधिक देखा गया है।
गन्ने की फसल के पीले पड़ने के क्या क्या कारण हैं?
आपको बता दे की गन्ना विकास विभाग द्वारा नियुक्त टीम द्वारा दी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि गन्ने की फसल के पीले पड़ने का मुख्य कारण उकठा रोग है। इसे उकठा रोग भी कहते हैं। उकठा रोग के शुरुआती लक्षणों में फसल पीली पड़ने लगती है। इसके अलावा कुछ स्थानों पर जड़ छेदक और मिलीबग कीटों का भी प्रकोप देखा गया है।
इससे गन्ने की फसल पीली पड़कर सूख रही है। वहीं अन्य कारण भी गन्ने की फसल को प्रभावित कर रहे हैं, जिनमें सामान्य से कम वर्षा, कम आर्द्रता, मिट्टी में नमी की कमी और अधिक तापमान जैसे कारण शामिल हैं, जो उकठा रोग और जड़ छेदक कीटों के लिए अनुकूल हैं।
गन्ने की फसल को पीलेपन व सूखेपन से बचाने के सुझाव
गन्ना विभाग की ओर से किसानों को गन्ने की फसल को पीलापन और सूखने की समस्या से बचाने के लिए जो सुझाव दिए गए हैं, उनमें खेत का निरीक्षण कर फसल के पीलेपन का कारण पता लगाना और कीट-व्याधियों की सही तरीके से पहचान कर उनका उपचार करना शामिल है। यूपी के गन्ना विकास विभाग के अनुसार गन्ने के पीलेपन की समस्या उकठा रोग के कारण हो सकती है।
गन्ने की फसल सूखेपन की समस्या के लिए क्या करें?
गन्ना विकास विभाग की टीम ने भी गन्ने की फसल के पीले व सूखने के पीछे जड़ छेदक व मिलीबग को कारण माना है। जड़ छेदक कीट गन्ने की जड़ों व तने को नुकसान पहुंचाता है। इससे फसल पीली पड़कर सूखने लगती है। इस कीट का लार्वा हल्के पीले रंग का होता है। इसका विकसित लार्वा नारंगी या भूरे रंग का होता है। इस कीट के आक्रमण से फसल की जड़ें व तने कमजोर हो जाते हैं। जड़ छेदक कीट की रोकथाम के लिए फिप्रोनिल 0.3 जी 10-12 किग्रा प्रति एकड़ या क्लोपायरीफास 50 ईसी एक लीटर दवा, इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 200 मिली दवा या बाइफेनथ्रिन 10 ईसी 400 मिली दवा को 750 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव कर ड्रेंचिंग कर सिंचाई करनी चाहिए।
गन्ने की बेहतर फसल लेने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
गन्ने की बेहतर फसल लेने के लिए जिन मुख्य बातों को ध्यान में रखने की सलाह दी गई है, वे इस प्रकार हैं-
- क्षेत्र के अनुसार गन्ने की केवल स्वीकृत किस्मों की ही बुवाई करें।
- शरदकालीन गन्ना बुवाई के लिए स्वस्थ नर्सरी से प्राप्त स्वस्थ गन्ना बीज का ही प्रयोग करें।
- गन्ना बुवाई से पहले बीजों को उपचारित करें। इसके लिए बीजों को किसी भी प्रणालीगत कवकनाशी जैसे कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यूपी 0.1 प्रतिशत या थायोफेनेट मिथाइल 70 डब्ल्यूपी 0.5 प्रतिशत के घोल में कम से कम 10 मिनट तक डुबोएं और फिर बुवाई करें।
- आवश्यकता से अधिक नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का प्रयोग न करें।
- मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की सक्रियता बढ़ाने के लिए ब्लीचिंग पाउडर का प्रयोग न करें।
- असत्यापित स्रोतों से प्राप्त रसायनों का दुरुपयोग न करें।
- अधिकृत स्रोतों से ही ट्राइकोडर्मा का प्रयोग करें और इसकी समाप्ति तिथि का ध्यान रखें।